गौ-मूत्र का कहाँ-कहाँ प्रयोग किया जा सकता है। संसाधित किया हुआ गौ मूत्र अधिक प्रभावकारी प्रतिजैविक, रोगाणु रोधक (antiseptic), ज्वरनाशी (antipyretic), कवकरोधी (antifungal) और प्रतिजीवाणु (antibacterial) बन जाता है। ये एक जैविक टोनिक के सामान है। यह शरीर-प्रणाली में औषधि के सामान काम करता है और अन्य औषधि की क्षमताओं को भी बढ़ाता है। ये अन्य औषधियों के साथ, उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जा सकता है। गौ-मूत्र कैंसर के उपचार के लिए भी एक बहुत अच्छी औषधि है। यह शरीर में सेल डिवीज़न इन्हिबिटोरी एक्टिविटी को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार गौ-मूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण है। यह आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और ह्रदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग (infections) और संधिशोथ (Arthritis), इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है।
गौ-मूत्र के लाभों को विस्तार से जाने। Benefits of Gomutra (Desi Cow Urine)
देसी गाय के गौ मूत्र में कई उपयोगी तत्व पाए गए हैं, इसीलिए गौमूत्र के कई सारे फायदे है। गौमूत्र अर्क (गौमूत्र चिकित्सा) इन उपयोगी तत्वों के कारण इतनी प्रसिद्ध है।
देसी गाय गौ मूत्र में जो मुख्य तत्व है उनमें से कुछ का विवरण जानिए।
1. यूरिया (Urea) : यूरिया मूत्र में पाया जाने वाला प्रधान तत्व है और प्रोटीन रस-प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद है। ये शक्तिशाली प्रति जीवाणु कर्मक है।
2. यूरिक एसिड (Uric acid): ये यूरिया जैसा ही है और इस में शक्तिशाली प्रति जीवाणु गुण हैं| इस के अतिरिक्त ये केंसर कर्ता तत्वों का नियंत्रण करने में मदद करते हैं।
3. खनिज (Minerals): खाद्य पदार्थों से व्युत्पद धातु की तुलना मूत्र से धातु बड़ी सरलता से पुनः अवशोषित किये जा सकते हैं। संभवतः मूत्र में खाद्य पदार्थों से व्युत्पद अधिक विभिन्न प्रकार की धातुएं उपस्थित हैं। यदि उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो मूत्र पंकिल हो जाता है। यह इसलिये है क्योंकि जो एंजाइम मूत्र में होता है वह घुल कर अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, फिर मूत्र का स्वरुप काफी क्षार में होने के कारण उसमे बड़े खनिज घुलते नहीं है। इसलिये बासा मूत्र पंकिल जैसा दिखाई देता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि मूत्र नष्ट हो गया | मूत्र जिसमे अमोनिकल विकार अधिक हो जब त्वचा पर लगाया जाये तो उसे सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. उरोकिनेज (Urokinase): यह जमे हुये रक्त को घोल देता है, ह्रदय विकार में सहायक है और रक्त संचालन में सुधार करता है।
5. एपिथिल्यम विकास तत्व (Epithelium Growth factors): क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में यह सुधार लाता है और उन्हें पुनर्जीवित करता है।
6. समूह प्रेरित तत्व (Colony stimulating factor): यह कोशिकाओं के विभाजन और उनके गुणन में प्रभावकारी होता है।
7. हार्मोन विकास (Growth Hormone): यह विप्रभाव भिन्न जैवकृत्य जैसे प्रोटीन उत्पादन में बढ़ावा, उपास्थि विकास,वसा का घटक होना।
8. एरीथ्रोपोटिन (Erythropotein): रक्ताणु कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा।
9. गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins): मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा और शुक्राणु उत्पादन।
10. काल्लीकरीन (Kallikrin): काल्लीडीन को निकलना, बाह्य नसों में फैलाव रक्तचाप में कमी।
11. ट्रिप्सिन निरोधक (Tripsin inhibitor): मांसपेशियों के अर्बुद की रोकथाम और उसे स्वस्थ करना।
12. अलानटोइन (Allantoin): घाव और अर्बुद को स्वस्थ करना।
13. कर्क रोग विरोधी तत्व (Anti cancer substance): निओप्लासटन विरोधी, एच 11 आयोडोल – एसेटिक अम्ल, डीरेकटिन, 3 मेथोक्सी इत्यादि किमोथेरेपीक औषधियों से अलग होते हैं जो सभी प्रकार के कोशिकाओं को हानि और नष्ट करते हैं | यह कर्क रोग के कोशिकाओं के गुणन को प्रभावकारी रूप से रोकता है और उन्हें सामान्य बना देता है।
14. नाइट्रोजन (Nitrogen) : यह मूत्रवर्धक होता है और गुर्दे को स्वाभाविक रूप से उत्तेजित करता है।
15. सल्फर (Sulphur) : यह आंत कि गति को बढाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
16. अमोनिया (Ammonia) : यह शरीर की कोशिकाओं और रक्त को सुस्वस्थ रखता है।
17. तांबा (Copper) : यह अत्यधिक वसा को जमने में रोकधाम करता है।
18. लोहा (Iron) : यह आरबीसी संख्या को बरकरार रखता है और ताकत को स्थिर करता है।
19. फोस्फेट (Phosphate) : इसका लिथोट्रिपटिक कृत्य होता है।
20. सोडियम (Sodium) : यह रक्त को शुद्ध करता है और अत्यधिक अम्ल के बनने में रोकथाम करता है।
21. पोटाशियम (Potassium) : यह भूख बढाता है और मांसपेशियों में खिझाव को दूर करता है।
22. मैंगनीज (Manganese) : यह जीवाणु विरोधी होता है और गैस और गैंगरीन में रहत देता है।
23. कार्बोलिक अम्ल (Carbolic acid) : यह जीवाणु विरोधी होता है।
24. कैल्सियम (Calcium) : यह रक्त को शुद्ध करता है और हड्डियों को पोषण देता है , रक्त के जमाव में सहायक।
25. नमक (Salts) : यह जीवाणु विरोधी है और कोमा केटोएसीडोसिस की रोकथाम।
26. विटामिन ए बी सी डी और ई (Vitamin A, B, C, D & E): अत्यधिक प्यास की रोकथाम और शक्ति और ताकत प्रदान करता है।
27. लेक्टोस शुगर (Lactose Sugar): ह्रदय को मजबूत करना, अत्यधिक प्यास और चक्कर की रोकथाम।
28. एंजाइम्स (Enzymes): प्रतिरक्षा में सुधार, पाचक रसों के स्रावन में बढ़ावा।
29. पानी (Water) : शरीर के तापमान को नियंत्रित करना| और रक्त के द्रव को बरक़रार रखना।
30. हिप्पुरिक अम्ल (Hippuric acid) : यह मूत्र के द्वारा दूषित पदार्थो का निष्कासन करता है।
31. क्रीयटीनीन (Creatinine) : जीवाणु विरोधी। 32.स्वमाक्षर (Swama Kshar): जीवाणु विरोधी, प्रतिरक्षा में सुधार, विषहर के जैसा कृत्य।गव्य अर्क हमेशा चरने वाली गौ माता से प्राप्त होना चाहिए
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