एक बार मगध सम्राट् बिंन्दुसार ने अपने राज दरबार में पूछा :- देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है…?
मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये। चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत परिश्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो। ऐसी हालत में अन्न तो सस्ता हो नहीं सकता..
शिकार का शौक पालने वाले एक अधिकारी ने सोचा कि मांस ही ऐसी चीज है, जिसे बिना कुछ खर्च किये प्राप्त किया जा सकता है…..
उसने मुस्कुराते हुऐ कहा :- राजन्… सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है। इसे पाने में पैसा नहीं लगता और एक पौष्टिक वस्तु खाने को भी मिल जाती है।सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन मगध का प्रधान मंत्री आचार्य चाणक्य चुप रहे।
सम्राट ने उससे पुछा : आप चुप क्यों हो? आपका इस बारे में क्या मत है?
चाणक्य ने कहा : यह कथन कि मांस सबसे सस्ता है…., एकदम गलत है, मैं अपने विचार आपके समक्ष कल रखूँगा….
रात होने पर प्रधानमंत्री सीधे उस सामन्त के घर पहुंचे, जिसने सबसे पहले अपना प्रस्ताव रखा था।
चाणक्य ने द्वार खटखटाया….सामन्त ने द्वार खोला, इतनी रात गये प्रधानमंत्री को देखकर वह घबरा गया। उनका स्वागत करते हुए उसने आने का कारण पूछा?
प्रधानमंत्री ने कहा :-संध्या को महाराज एकाएक बीमार हो गए है उनकी हालत बेहद नाज़ुक है। राजवैद्य ने उपाय बताया है कि यदि किसी बड़े आदमी के हृदय का एक तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते है….आप महाराज के विश्वास पात्र सामन्त है। इसलिए मैं आपके पास आपके शरीर का एक तोला मांस लेने आया हूँ। इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहे, ले सकते है। कहे तो लाख स्वर्ण मुद्राऐं दे सकता हूँ…..।
यह सुनते ही सामान्त के चेहरे का रंग फिका पड़ गया। वह सोचने लगा कि जब जीवन ही नहीं रहेगा, तब लाख स्वर्ण मुद्राऐं किस काम की?उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़कर माफी चाही और अपनी तिजोरी से एक हज़ार स्वर्ण मुद्राऐं देकर कहा कि इस धन से वह किसी और व्यक्ति के हृदय का मांस खरीद लें।
मुद्राऐं लेकर प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामन्तों, सेनाधिकारियों के द्वार पर पहुँचे और सभी से राजा के लिऐ हृदय का एक तोला मांस मांगा,
लेकिन कोई भी राजी न हुआ….सभी ने अपने बचाव के लिऐ प्रधानमंत्री को हजार, दो हज़ार , पांच हजार और किसी ने दस हजार तक स्वर्ण मुद्राऐं दे दी।
इस प्रकार लाख स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले महल पहुँच गऐ और समय पर राजदरबार में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष लाख स्वर्ण मुद्राऐं रख दी….!
सम्राट ने पूछा : यह सब क्या है….? यह मुद्राऐं किसलिए है?
प्रधानमंत्री चाणक्य ने सारा हाल सुनाया और बोले: एक तोला मांस ख़रीदने के लिए इतनी धनराशी इक्कट्ठी हो गई ,फिर भी एक तोला मांस नही मिला। अपनी जान बचाने के लिऐ सामन्तों ने ये मुद्राऐं दी है। राजन अब आप स्वयं सोच सकते हैं कि मांस कितना सस्ता है….??
जीवन अमूल्य है।
इस धरती पर हर किसी को स्वेच्छा से जीने का अधिकार है………
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